,✍️फरेब:आस्तीन के सांप बन गए हो तुम…
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आस्तीन के सांप बन गए हो तुम…
#देती होंगी मुर्गियां बांग शहर तुम्हारे … ज़मीर ना जगे तो जिंदा लाश हो तुम…
#लेती होंगी खुशीयां बालाएं तुम्हारे …किसी की हर दुःख वजह हो तुम…
#मिलती रहेंगी कई सखीयां तुम्हे …किसी की हमदर्द ना बन सको “जाया”…. हो तुम…
#होगी कई खूबियां तुम.में . …. पर .. फरेबी.. में लाजवाब हो तुम…✍️
# उठती रही कई उंगलीयां ..
किसी “मासूम” किरदार पे…… शामिल हो उनमें …..आस्तीन के सांप बन गए हो तुम…
पं अंजू पांडेय “अश्रु”✍️