जल स्रोतों का संरक्षण
जल स्रोत अनेक बने हैं बेशक इनमें काफी नस्तूर हुए,
सागर,झीले,ग्लेशियर,वर्षा,सरिता,कुए सभी बदसूर हुए।
आबादी बड़ी और उपवन कट गए, जंगल रेगिस्तान हुए,
हरी-भरी कृषि के फॉर्म दबकर शेहरिस्तान हुए।
इंद्रदेव कुछ ऐसे रूठे छूमंतर हुई सावन की झड़ियां,
धरती की प्यास बुझाती बरखा,अब तो खुद सूखी नदियां।
पृथ्वी का जल दोहन करते खेत-खेत नलकूप लगे,
शहरो की गलियां मोटर गाड़ियां, पार्क गुसलों के नल खुले।
जलस्तर घटा पृथ्वी का इतना, खंडर सारे कूप बने,
फसलों को ना समय पे वर्षा, नदियों के स्वरूप घटे।
बिजली संकट सबब बना है जल संकट इसका परिणाम,
बूँद बूँद पीने को तरसे, जहाँ जल संसाधन है नाकाम।।
पर्यावरण को शुद्ध बनाना, “जल भण्डारण’ खोद खदान,
बूँद बूँद को सभी बचाये संतोषी गिनकर सांस समान।
बिन पानी के सब सूना, जो झेला मरू सहारा थार,
बर्बादी जल की छोड़कर, जल संरक्षण का करे विचार।।