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10 May 2024 · 1 min read

मौसम

गीतिका
~~
शुरू कर दिये मौसम ने भी, तेवर खूब दिखाने अब
ग्रीष्म ऋतु सब शीतल जल के, देखो हुए दिवाने अब

कल तक जो बातें करते थे, साथ दो कदम चलने की
चुपके चुपके देख लीजिए, खूब लगे मुसुकाने अब

जब चलना था साथ हमारे, खूब चले अपनी धुन में
साथ नहीं आ पाने के भी, लगने लगे बहाने अब

जो उत्साह लिए न बढ़े थे, मंजिल दूर रही उनसे
सही समय जो चले नहीं थे, व्यर्थ लगे पछताने अब

किसी विषय की कोई चिंता, बिल्कुल जिसे नहीं होती
कल तक थे चुपचाप देखते, बनने लगे सयाने अब

स्नेह भरी राहों पर चलना, होता है आसान नहीं
सोच समझ कर किए सभी हैं, वादे खूब निभाने अब

बहुत जरूरी है जीवन में, सब संवेदनशील बनें
प्राणी मात्र के लिए हृदय में, कोमल भाव जगाने अब
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १०/०५/२०२४

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