“जले हाथ”
“जले हाथ”
—————
डालोगे ग़र हाथ
पराई आग में
हाथ फिर अपने
ही जला करते है
कितना लगाओ
तुम गले दुश्मन को
अपने भी यहाँ नहीं
कम छला करते हैं
कहा था मैंने
रहना सँभल के
साँप तो आस्तीनों में
पला करते हैं।
—————–
राजेश”ललित”शर्मा
“जले हाथ”
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डालोगे ग़र हाथ
पराई आग में
हाथ फिर अपने
ही जला करते है
कितना लगाओ
तुम गले दुश्मन को
अपने भी यहाँ नहीं
कम छला करते हैं
कहा था मैंने
रहना सँभल के
साँप तो आस्तीनों में
पला करते हैं।
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राजेश”ललित”शर्मा