जय श्री कृष्ण
राधे राधे बोल सको ना,तो बोलो जय श्री कृष्णा!
भक्ति भाव भूखे भगवन,दूर भगाएगे मृगतृष्णा!!
प्रेम समर्पण की अनुपम छवि,अपनी राधा प्यारी!
त्याग,तपस्या,कर्मयोग,भजते,अपने कृष्ण मुरारी !!
प्रेम-समर्पण कलियुग मैं,बस बीते युग की बात हुई!
कर्मपयोग का जीवन जी लो,वर्ना समझो घात हुई!!
संबंधों में भी प्रेम-समर्पण अब कहां बचे है बाकी?
भैंस उसी की रहे जिसके लाठी में दम है बाकी!!
उठो अर्जुन बन प्रत्यंचा फिर चढावो गांडीव की!
जय जय सनातन संस्कृति हनुमत औ सुग्रीव की!!