जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
भाग्य प्रबल हो जाएगा
जब हर एक कर्म को सत्कर्म करोगे
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब जीवन को जीवन समझोगे
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब गैरों को अपना समझोगे
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब चंचल मन स्थिर होगा तब
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब चिंतन का सागर होगा रोशन तब
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब आध्यात्म की गंगा बह निकलेगी तब
भाग्य प्रबल हो जाएगा
जब प्रभु चिंतन का समंदर होगा रोशन तब
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब सबकी पीड़ा , तेरी पीड़ा होगी तब
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब सुख – दुःख में तू सम होगा तब
भाग्य प्रबल हो जायेगा
जब हर एक दिन को शुभ समझोगे
भाग्य प्रबल हो जाएगा
जब हर एक कर्म को सत्कर्म करोगे
भाग्य प्रबल हो जायेगा ||
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “