Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2018 · 1 min read

जब सावन का महीना आता –आर के रस्तोगी

जब सावन का महीना आता
क्या पिया का संदेशा लाता ?
जब बादल आसमां में गरजते
एक दूजे के लिये क्यों तरसते ?
जब बिजली आसमां में चमकती
माथे की बिंदिया क्यों दमकती ?
जब घनघोर घटायें घिरती
विरहणी क्यों दिन में डरती ?
जब दिन में ही रात हो जाती
पिया की याद क्यों सताती ?
जब नन्नी नन्नी बुंदियाँ आती
ये किस की प्यास बुझाती ?
जब चूड़ियाँ आपस में खनकती
मुझ से ये कौन सी बाते करती ?
जब सावन का महिना आता
तन में आग्न क्यों लगाता ?
जब आ जाये सावन में सजन
क्यों हो जाता है ये मन मगन ?
ये प्रश्न उभर कर मन में आते
इनका उत्तर कोई नही दे पाते

आर के रस्तोगी

540 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all

You may also like these posts

*~पहाड़ और नदी~*
*~पहाड़ और नदी~*
Priyank Upadhyay
खूब रचाया स्वांग
खूब रचाया स्वांग
RAMESH SHARMA
वैज्ञानिकता कहीं खो गई
वैज्ञानिकता कहीं खो गई
Anil Kumar Mishra
*जीवन में जो सोचा सब कुछ, कब पूरा होता है (हिंदी गजल)*
*जीवन में जो सोचा सब कुछ, कब पूरा होता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
भारत ने रचा इतिहास।
भारत ने रचा इतिहास।
Anil Mishra Prahari
कर दो मेरे शहर का नाम
कर दो मेरे शहर का नाम "कल्पनाथ"
Anand Kumar
अभी कहाँ आराम, परम लक्ष्य छूना अभी।
अभी कहाँ आराम, परम लक्ष्य छूना अभी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पूजा
पूजा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
ज्ञान वापी दर्शन (घनाक्षरी छंद)
ज्ञान वापी दर्शन (घनाक्षरी छंद)
guru saxena
"लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल" (महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी)
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूज एण्ड थ्रो युवा पीढ़ी
यूज एण्ड थ्रो युवा पीढ़ी
Ashwani Kumar Jaiswal
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
लक्ष्मी सिंह
छिपे दुश्मन
छिपे दुश्मन
Dr. Rajeev Jain
बीते साल को भूल जाए
बीते साल को भूल जाए
Ranjeet kumar patre
क्या हमें ग़ुलामी पसंद है ?
क्या हमें ग़ुलामी पसंद है ?
CA Amit Kumar
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
सारा दिन गुजर जाता है खुद को समेटने में,
शेखर सिंह
रूप यौवन
रूप यौवन
surenderpal vaidya
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
Subhash Singhai
#व्यंग्य
#व्यंग्य
*प्रणय*
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Dr fauzia Naseem shad
चार यार
चार यार
Sakhi
मेरी सखी चाय रानी
मेरी सखी चाय रानी
Seema gupta,Alwar
मां शारदा की वंदना
मां शारदा की वंदना
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मां की अभिलाषा
मां की अभिलाषा
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
दोहे
दोहे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
प्रीति घनेरी
प्रीति घनेरी
Rambali Mishra
"समाज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि लोग बदलना चाहते हैं,
Sonam Puneet Dubey
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
Phool gufran
" लत "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...