जब सावन का महीना आता –आर के रस्तोगी
जब सावन का महीना आता
क्या पिया का संदेशा लाता ?
जब बादल आसमां में गरजते
एक दूजे के लिये क्यों तरसते ?
जब बिजली आसमां में चमकती
माथे की बिंदिया क्यों दमकती ?
जब घनघोर घटायें घिरती
विरहणी क्यों दिन में डरती ?
जब दिन में ही रात हो जाती
पिया की याद क्यों सताती ?
जब नन्नी नन्नी बुंदियाँ आती
ये किस की प्यास बुझाती ?
जब चूड़ियाँ आपस में खनकती
मुझ से ये कौन सी बाते करती ?
जब सावन का महिना आता
तन में आग्न क्यों लगाता ?
जब आ जाये सावन में सजन
क्यों हो जाता है ये मन मगन ?
ये प्रश्न उभर कर मन में आते
इनका उत्तर कोई नही दे पाते
आर के रस्तोगी