जब तुम आना ज़िन्दगी
सुनो ज़िंदगी
तुम जब भी आना
विंड चाइम हिला कर
गुड लक लाना।
बरसा देना मेरे आँगन में
थोड़ी सी धूप,
थोड़ी सी छाँव।
बना देना मेरे घर को
थोड़ा सा शहर
थोड़ा सा गाँव।
बजाना मेरे कानों में
माँ की चूड़ियों का संगीत।
जो पापा गुनगुनाते थे
फिर से गाना वही गीत।
मेरे बच्चों के लिए लाना
मुस्कुराहटें और सुकून
पहाड़ जितनी खुशियां
दुख न्यून से न्यून।
जब मुझे गुडबाय करने आओ
तो फिर से विंडचाइम हिलाना।
मेरी बड़ी सी लाल बिंदी
साड़ी चटख लाल
माँग में सिन्दूर ,माँ की गर्म शाल।
कोई भी सामान छोड़ कर न आना
बस ज़रा धीरे धीरे
चुपके चुपके आना।
कोई तंग न हो परेशान न हो।
किसी की भी आँख के लिए
आँसू न लाना।
** धीरजा शर्मा***