जब तात तेरा कहलाया था
जब थाम के मेरी ऊँगली को, तू धीरे से मुस्काया था
जब लेकर तुझको गोद में मैं, सबसे पहले इतराया था
तब जाकर मैं पहली बार, तात तेरा कहलाया था
जब तेरे अक्स नें मुझको मेरे अक्स से यूँ मिलवाया था
जब तुझको ख़ुद की पीठ बिठाकर, आँगन में घुमाया था
तब पहली बार को सच में मैं, तात तेरा कहलाया था
जब तेरी ऊँगली थाम के मैंने, चलना तुझे सिखाया था
तुझको याद नहीं होगा जब, लिखना तुझे सिखाया था
तब शायद पहली बार कहीं, मैं तात तेरा बन पाया था
अब तू थोड़ा बड़ा हो गया, चलना ख़ुद से आता है
छोड़ के मेरी ऊँगली को, तू ख़ुद स्कूल को जाता है
ख़ुद से सोच समझ कर तू, मुश्किलों को दूर भगाता है
ख़ुद से जीना सीख सीख कर, मंज़िल पर कदम बढ़ाता है
अब नया जोश है, नए हैं सपनें और उम्मीदें ढेरों सी हैं
मुझको भी तेरे सपनों को पूरा करना जिद सी है
जब तेरी सारी खुशियों से तेरा दामन भर पाऊँगा
तेरी हर कठिन ड़गर पर मैं, जब फूलों सा बिछ जाऊँगा
तब जाकर शायद ख़ुद को, मैं तात तेरा कह पाऊँगा
तेरे सपनों के खातिर मैं इस जग से भी लड़ जाऊँगा
तेरी हर एक ख़ुशी को मैं अपना हर लक्ष्य बनाऊंगा
तुझको भी होगा फक्र कभी, जब ये जज़्बात बताऊँगा
खुदा की महफिल में भी तब, मैं तात तेरा कहलाऊँगा ।
!! आकाशवाणी !!