जब तक वह ओझिल ना हो गया है।
हम देखते रहे उसे जब तक वह ओझिल ना हो गया है।
ऐ दिल अब तू भी चल घर को काफी बोझिल सा हो गया है।।1।।
सोचा था आने पर उसके खूब सवाल जवाब हम करेंगे।
तो क्या हो गया है जो संगदिल वह आते आते ही सो गया है।।2।।
एक हम है उससे कबसे ही मोहब्बत से बोले जा रहे है।
जाने वो बड़ा चुप है शायद उसका दिल बेदिल सा हो गया है।।3।।
कितना इंतज़ार किया है हमनें उसके आने का पल पल।
पर वह हमको इन्तिज़ार की इश्के मंजिल सा ना लग रहा है।।4।।
बड़ा अरमान था कि वह बारात लेकर हमारे घर आएगा।
पर वो बेदर्द कोई बात ना हमारे मुस्तगबिल की देखो कर रहा है।।5।।
वह एक नाम की मुलाकात करने आया था घर पे हमारे।
एक फौरी सी दुआ सलाम करके बेदिल अपने घर जा रहा है।।6।।
मेरी आँखों में अश्को की नमी देखके भी वो ना बोला है।
काफी दूर हो गया है वो आंखों को झिलमिल सा लग रहा है।।7।।
कैसे समझाए हम अपने आपको जो उसने गम दिया है।
अब क्या करें अपने दिल का जो यूँ तिल-तिल कर मर रहा है।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ