जन जन के प्रिय अटल जी, फिर से आ जाओ
जन जन के प्रिय अटल जी, फिर से आ जाओ
अमर्यादित नेताओं को, संसदीय मर्यादा सिखा जाओ
देखो संसद विधानसभाओं में, कैसी जूतमपैजार है?
सरेआम अमर्यादित, गालियों की बौछार है?
टीवी पर लड़ रहे हैं,आपस में गलेवान पकड़ रहे हैं?
कदाचरण कर रहे हैं, आचरण सिखा जाओ
जन जन के प्रिय अटल जी फिर से आ जाओ
जिनको जेलों में होना चाहिए, बे घुस गए हैं संसद विधानसभाओं में?
सेवा के नाम पर,लगे हैं कमाओ खाओ में?
राजनीतिक दलों के स्तर, बहुत नीचे गिर गए हैं
सभी सत्ता सुंदरी के, पीछे पड़ गए हैं?
नहीं है आदर्श इनके, ये बिल्कुल सड़ गए हैं
आपकी बात सभी सुनते थे, माननीय आकर खरी खरी सुना जाओ*******
जन जन के प्रिय अटल जी, फिर से आ जाओ
राजनीति सेवा के लिए करें, सुविधाओं को नहीं?
हे भारत मां के लाडले सपूत, आप से अच्छा कौन है?
जो इन्हें नसीहत दे पाए?
इन बिगड़ैल नेताओं को, नसीहत दे जाओ
जन जन के प्रिय अटल जी, फिर से आ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी