लाल उठो!!
रात गई ,लाल उठो,
बोल रहीं चिडियाँ।
चाँद गया साथ लिये,
शीतल चंदनियां ।
अंबर से फूट रहे,
धूप भरे अंकुर,
दूध मिले ग्वाल दिखे
धेनु सुवन आतुर।
लो उनसे सीख चलो,
जो घर के काम करो,
खेत फसल टेर रही,
ढोर चरें सोच डरो ।
आलस है शत्रु बड़ा,
नीति कहे भारत की ।
नींद तजो कर्म करो ,
है दुनियाँ स्वारथ की ।
वृद्ध पिता आस लिए,
देख रहे तुझको ।
हाथ बटा तू उनका
धीरज दे उनको ।
©अभिषेक पाण्डेय अभि