चेहरों के मुखोटे
चेहरे के मुखोटे
चेहरे जो खिले होते हैं, होते हैं वो खोखले
जो खुशनुमा होते हैं, दिल हैं उन्हीं के रोते
सभी को खुश जो रखते,मिटा के ख्वाहिशें
सामने सभी के जो हँसे ,एकांत में हैं रोते
रहते जो सदा सक्रिय,सदैव आवाभगत में
दूसरों के सदा सम्मान में,अपमान हैं सहते
सूरज स्वयं जलता है,प्रकाश देता जग को
शीतलता से कोसों दूर,उष्णता में दहकते
जग की उल्टी रीत है,बदलती नहीं तकदीर
अन्य को जिंदा रखने में,निज घुट घुट मरते
ढीढ रिश्ता पति पत्नी का,पर है पावन पाक
भार्या सदैव घुटती फिरे,सभी की सेवा करते
प्रेम अमरता भाव है, सभी को नहीं मिलता
जो औरों से प्रेम करें,स्वयं प्रेम अभाव रहते
पत्नी सेवारत भाव से, रखे सभी की संभाल
स्वयं कदर चाह भाव रखें,मिट्टी पलीद करते
फूल खिला बगिया में,दूसरों को है महकाए
चमन को हरा भरा रखें,मुरझाए शाम ढलते
जो हमारा मान करें, हम सदैव करें सम्मान
फर्ज मानव धर्म का, ईमान धर्म से निभाते
चेहरे जो खिले होले है, होते हैं वो खोखले
जो खुशनुमा होते हैं ,दिल हैं उन्हीं के रोते
सुखविंद्र सिंह मनसीरत