चेहरे ही चेहरे
चेहरे ही चेहरे चहकते हैं आसपास
फिर भी ये दुनिया है क्यों हताश ।
चेहरा जो मुखौटा जैसा दिखता हो
मुझे भी है एक ऐसे चेहरे की तलाश….
ये बदलते चेहरे कही हास-परिहास
कही बदलते भूगोल,बदलते इतिहास।
पार्टी भी रही है कब से सिर खुजा
उसे भी पीएम,सीएम चेहरे की तलाश …
दिए चस्पा चौक में चेहरों के चित्र
दरोगा को भी एक चेहरे की तलाश ।
मजनू आशिक फिर रहा मारा-मारा
दीवाने को भी एक चेहरे की तलाश….
चेहरे से ही मूवी ब्लाकबस्टर हो जाए
निर्माता को भी नये चेहरे की तलाश ।
सबमें एक बंदा जो बिल्कुल है खास
उसको भी है चहेते चेहरे की तलाश….
अतृप्त मन है,ऑखों में बड़ी प्यास
भक्त को भी दिव्य चेहरे की तलाश ।
जो बस जाए ऑखों में,मन मंदिर में
जीवन को भी एक चेहरे की तलाश….
एक चेहरे के लिए गोरी भी करें प्रयास
जो उसको भी भाए और आ जाए रास ।
चाहे मन के भाव कभी चेहरे पर न लाए
गोरी के मन में भी एक चेहरे की तलाश….
अब नई पीढ़ी के नेताओं से बड़ी ऑस
पुरानों के तो अब वादे लगते बदहवास ।
उकता गए लोग टीवी,कटआउट में देख
जनता को भी हैं नये चेहरे की तलाश….
बुझा चेहरा जिस्म जैसे है जिन्दा लाश
ये बोझिल जिंदगी हर ओर से निराश।
उसका टूटा दिल ढूढ़ने के बदले क्यों
फिजूल करते उसके चेहरे की तलाश….
नकली चेहरा बना के फिरते हैं बिंदास
सारा बनावटी पन है इन चेहरों के पास
एक सच्चे दिल वाले को भी तो हमेशा
हैंं मुखौटे के अंदर के चेहरे की तलाश….
खोई खुशी चेहरे की,मन रहता उदास
इस चेहरों की भीड़ में घुट रही है साँस
खोया जो दर्दे दिल दिखाता चेहरा मेरा
मुझे भी है अपने खोए चेहरे की तलाश….
~०~
मौलिक एंव स्वरचित: कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या -९ : मई ,२०२४. ©जीवनसवारो