चुल्लू भर ढूंढा पानी
सागर से भी गहरा पानी
आंख में क़तरा भर था पानी
सर से ऊपर गुज़रा पानी
तब आंखों से बरसा पानी
गांव ने हमको रुखसत दे दी
इतना ही था दाना पानी
प्यास का मारा कब देखे है
मीठा पानी, खारा पानी
पहले अपनी साख गिराई
फिर चुल्लू भर ढूंढा पानी
एक जरा सा सच क्या बोला
बंद हुआ है हुक़्क़ा पानी
अंतर्मन सब भीग गया था
आंखों से जब बरसा पानी
दिल में अरशद रो लेते हैं
सूख गया आंखों का पानी