चुप
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चुप क्यों हो
पूछा उसने
भीतर
तूफ़ान सा
उठा,
धड़कने धौकनी
सी तेज़ हो गई
दिमाग़ में सन्नाटे
गूंजने लगे
आंखे नीर से
भर गई
होंठ कांपने लगे
पर मुंह से
बस एक शब्द
निकला
ठीक हूं।
चुप क्यों हो
पूछा उसने
भीतर
तूफ़ान सा
उठा,
धड़कने धौकनी
सी तेज़ हो गई
दिमाग़ में सन्नाटे
गूंजने लगे
आंखे नीर से
भर गई
होंठ कांपने लगे
पर मुंह से
बस एक शब्द
निकला
ठीक हूं।