चुनावी मौसम
चुनावी मौसम
पांच वर्ष के बाद, मौसम फिर वादों का आया।
था विकास का अकाल, ज्येष्ठ में बादल छाया।।
दर-दर पी-हू पी-हू करते, यह मनमानी मोर।
माई-बाप बनाते फिरते, पहुँचें दर पर भोर।।
टर्र-टर्र टर्राते हैं दादुर, बरसाती चहुँ ओर।
अच्छाई की खाल पहनकर, मचा रहे हैं शोर।।
बढ़-चढ़ कर मतदान करेंगे, खूब लगाकर जोर।
चूक गए तो मिल जाएगा, नेता फिर कोई चोर।।
दुष्यन्त ‘बाबा’
मानसरोवर, मुरादाबाद