चिड़िया मैं चिड़िया
चिड़िया मैं चिड़िया
घूमूँ सारी दुनियाँ
जैसे पंखों वाली परियाँ।
गाँव देखूँ, शहर देखूँ
देखूँ फूलों वाली बगिया
जहाँ खिलखिलाती कलियाँ।
दिन भर मैं उड़ती फिरुँ
हरे-भरे खेत खलिहानों से
ले लाऊँ चंद फलियाँ।
नदी किनारे जंगल में
पीपल का एक पेड़ बड़ा
जिसके नीचे चरती बकरियाँ।
वहीं एक शाख पर घास,फूस,
तिनकों से बना है मेरा घर
नीचे कल-कल करती नदियाँ।
चिड़िया मैं चिड़िया
घूमूँ सारी दुनियाँ
जैसे पंखों वाली परियाँ।
©️रानी सिंह
पूर्णियाँ, बिहार