Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Apr 2024 · 6 min read

सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.

मिथिला का पांचवीं अथवा छठी शताब्दी के ऐतिहसिक ग्रामीण और सामाजिक आंदोलन पृष्ठभूमि पर बनी सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.

राजा जनक के उपरांत राजा सलहेस के शासनकाल में मिथिला में सराहनीय उपलब्धि हुई। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि राजा जनक के उपरांत पांचवीं और छठी शताब्दी तक मिथिला में वज्जिसंघ, लिच्छवी, नंद, सुनगा, कांत, गुप्ता, वर्धन इत्यादि का शासन रहा, पर इस अवधि में मिथिला कोई विशेष उपलब्धि नहीं पा सका। 80 के दशक में रिलीज हुई फिल्म सस्ता जिनगी महग सेनूर उस दौर की सबसे सफल फिल्म थी, जिसने सफलता के कई रिकॉर्ड तोड़े. नए चेहरों और कम लागत में बनी इस फिल्म ने सिनेमाघरों में खूब तहलका मचाया था. दर्शकों के बीच आज भी यह फिल्म खूब पसंद की गई थी. खपरीले, मिट्टी के बने कच्चे मकान, ऊबड़-खाबड़ पगडंडियां पंरतु मिथिला की संस्कृति संस्कार के साथ आसान पर विराजमान मगध मण्डल की मगधकालीन अराजकता जैसे युगों से प्रभावित समाज के साथ सच्ची कहानी ने इस फिल्म को कालजयी फिल्म बना दिया. इस फिल्म को देखने के लिए बैलगाड़ी में बैठकर लोग सिनेमाघर पहुंचे थे. इस फिल्म में ललितेश और स्वाती सिंह लीड रोल में थे.जो अपने दौर की सबसे हिट और चर्चित फिल्म रही थी। जिसे हर वर्ग, हर पीढ़ी के दर्शकों का प्यार मिला।इस फिल्म में ग्रामीण जन-जीवन और उसकी संस्कृति के साथ-साथ उसकी संवेदना को बड़ी ही आत्मीयता के साथ चित्रित किया गया था और वर्तमान समय की भारत और नेपाल व चीन के निम्न अनुसूचित जनजाति के लोकदेवता व सामाजिक कान्तिकारी आंदोलन वीर नायक राजा सलेहस की जीवन पर आधारित फिल्म जिसे हर वर्ग, हर पीढ़ी के दर्शकों का प्यार मिल रहा है और भारतीय सिनेमा की सफल फिल्म परीक्षण में सभी मापदंड को पालन करती है । फिल्म को देखने के लिए दूर दराज के गाँव से लोग सिनेमाघर पहुंच रहे हैं . वसीम बरेलवी ने कभी कहा था, जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा, किसी चिराग का अपना मकां नहीं होता। यह बात दाऊदनगर प्रखंड के चौरम निवासी संतोष बादल द्वारा निर्देशित फिल्म पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है। जिन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अपना खास मुकाम बनाया है। बिहार के औरंगाबाद जिले का नाम रोशन किया है।

चौरम से बिना बड़ी डिग्री हासिल किए मुंबई पहुंचकर संतोष बादल ने जो मुकाम हासिल किया है वह बिरले को ही नसीब होती है। वर्ष 1996 में मुंबई पहुंचे, सिर्फ 18 साल के थे। अपना गुरु माना इंडस्ट्री के जाने माने निर्देशक होमी वाडिया को। निर्देशक बनना चाहते थे जिस कारण उनके स्टूडियो में रहकर काम करने लगे।

1997 में निर्देशक बनने के पूरे फॉर्मूले को समझा और वीडियो संपादन का काम शुरू किया और 1998 तक मुख्य संपादक बन गए। साल 2000 तक एडिटर के रूप में नौ अवार्ड जीते। ज़ी (दक्षिण) के साथ एक क्रिएटिव डायरेक्टर के रूप में और केरल में ज़ी केरलम में क्रिएटिव कंसल्टेंट और वाइस प्रेसिडेंट (प्रोग्रामिंग) के रूप में जुड़े । ज़ी एंटरटेनमेंट मुंबई के तहत क्रिएटिव प्रोड्यूसर के रूप में मुंबई में ज़ी मराठी की सेवा भी दे रहे हैं । वह सीधे बिजनेस हेड राघवेंद्र हंसुर को रिपोर्ट कर रहे हैं।

इंडस्ट्री में खास जगह बन गई। तब सिर्फ 21 साल उम्र थी। एकता कपूर ने बतौर निर्देशक पहला मौका दिया एशिया महादेश का सबसे हिट सीरियल साबित हुआ-‘क्योंकि सास भी कभी बहु थी’। उसके बाद 2016 के अंत तक इंडस्ट्री के सारे सीरियल अपने नाम किए और लगभग 6000 एपिसोड का निर्देशन किया। हालिया निर्देशित सीरियल नागिन, नागिन 2, परमावतार श्री कृष्णा, हातिम सुपरहिट रही साल 2000 से 2016 तक चार फीचर फिल्म की जो चर्चित रही।200 से अधिक प्रोमो और विज्ञापन फिल्मों के साथ संगीत एल्बम का निर्देशन किया। वीएफएक्स और सीजी शॉट्स पर उनकी अच्छी पकड़ है। एक संपादक के रूप में उनके कुछ काम कमांडर, सिलसिला, ज़ी टीवी पर शपथ, लेकिन वो सच था, डीडी1 पर सिपाही डायरी हैं। हालिया रिलीज फिल्म फाइनल मैच सफल रहा। निर्देशक के तौर पर नौ बेस्ट डायरेक्टर अवार्ड मिल चुका है। सन 2000 का सबसे कम उम्र का निर्देशक बनने का गौरव प्राप्त है। कुछ प्रमुख भारतीय सीरियल का सफल निर्देशक किया जैसे –
आरती-कहानी जिंदगी की,कहत हनुमान जय श्री राम, बेताल और सिहासन बतीसी, क्योंकि सास भी कभी बहू थी ,कुछ ही तारा और साथ ही साउथ फिल्म उद्योग में संतोष बादल एक बहुत बड़े नाम में एक हैं जिसके कारण भारतीय फिल्म उद्योग में विभिन्न अभिनेता और अभिनेत्री संतोष बादल के साथ कार्य हेतु जीवन का लक्ष्य समझते हैं ! बहुचर्चित मैथिली फिल्म कखन हरब दुख मोर” विद्यापति के जीवन पर आधारित 2005 में रिलीज हुई इस फिल्म का निर्देशन और निर्देशक संतोष बादल ने किया था। उगना एंटरटेनमेंट के बैनर तले अभिनेता फूल सिंह और संजय राय के सहयोग से बनी यह फिल्म हिट रही. फिल्म में इस्तेमाल किये गये गाने विद्यापति के हैं। यह फिल्म विद्यापति के जीवन और उगना महादेव के साथ उनके रिश्ते पर आधारित है। मुख्य कलाकार हैं फूल सिंह, दीपक सिन्हा, अवधेश मिश्रा व अन्य। परिकल्पना अभिराज झा, संगीत ज्ञानेश्वर दुबे का । पर्यावरण फ़िल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है; डॉ.जगदीश चन्द्र बसु की वापसी और जिन्हें जागरण फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया। 9 सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ निर्देशन के लिए महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार। मैथिली सिनेमा जगत में वर्तमान समय की बहुचर्चित फिल्म राजा सलहेश की चर्चा भारतीय सिनेमा के दिगज कलाकार और निर्देशक के जुबा पर बन चुकी हैं ! ‘राजा सलहेस शक्ति, शील और सौंदर्य-तीनों गुणों से परिपूर्ण थे। राजा सलहेस घोड़ा पर बैठकर अपनी प्रजा की रक्षा तथा शिकार खेलने निकला करते थे। जिस सरिवन में राजा सहलेस विचरण किया करते थे ! प्रचीन विदेह देश के नेपाल एवं बिहार झारखंड असाम बंगाल उत्तर प्रदेश की सभी दलित बस्तियों में राजा सलहेस की याद में हरेक वर्ष आश्विन पूर्णिमा को मेले का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर ‘राजा सलहेस’ नामक नृत्य नाटिका, जिसे स्थानीय भाषा में ‘नाच’ कहा जाता है, की प्रस्तुति स्थानीय लोक गायक मंडली के द्वारा नृत्य व गायन के साथ की जाती है। यह ‘नाच’, जिसमें राजा सलहेस की जीवनी है, को किसी भी उत्सव के अवसर पर कराया जाता है। राजा सलहेस चारों वेदों के ज्ञाता थे लेकिन उनको एवं उनके ज्ञान को ब्राह्मणों ने स्वीकार नहीं किया, क्योंकि दुसाध जाति के किसी व्यक्ति का ज्ञान और उसकी कीर्ति उनके गले नहीं उतर पाती थी।”राजा सलहेस की प्रतिमा, घोड़े पर आसीन हाथ में तलवार लिए, को ब्रह्म्स्थान में देखा जाता है जो प्राय: गांव के अंतिम छोर पर स्थापित किया जाता था। लेकिन अब सभी दलितों की बस्ती में राजा सलहेस का गह्वर स्थापित है।‘अब धीरे-धीरे उच्च वर्ग के लोग भी अन्य देवताओं की तरह मानवमात्र के पथप्रदर्शक व पराक्रमी राजा सलहेस को सम्मान के साथ याद कर रहे हैं।’
इतिहासकार ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ के अनुसार, सलहेस ‘शैलेश’ का स्थानीय भाषा में परिवर्तित रूप है जिसका अर्थ होता है ‘पर्वतों का राजा’। वे दुसाध जाति के थे। दु:साध्य कार्यों को पूरा करने में निपुण लोगों को दुसाध (दु:साध्य) कहा जाता है।बचपन से ही राजा सलहेस विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वे सभी जातियों के लोगों के साथ समभावी और सहृदय थे। लेकिन ब्राह्मणवाद की चुनौती के कारण उन्हें अपने गांव से दूर अपनी जीविका के लिए पकरिया (मुंगेर) के राजा भीमसेन के यहां दरबान का काम करना पड़ा। उनके पराक्रम और ज्ञान को देखकर राजा भीमसेन ने उन्हें अपना व्यक्तिगत अंगरक्षक बना लिया। लेकिन राजा भीमसेन ने चुहरमल, जो दुसाध जाति के ही थे, के साथ राजा सलहेस का मुकाबला करवा दिया, जिसमें राजा सलहेस विजयी हुए थे और जिस कारण चुहरमल राजा सलहेस से ईर्ष्या भाव रखने लगा।
फिल्म के कलाकार प्रियरंजन व विकास ,संतोष अमन,प्रदीप और पूजा ठाकुर,रूपा ने अपने अभिनय से इस फिल्म को जीवंत कर दिया।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 31 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
द्वंद अनेकों पलते देखे (नवगीत)
द्वंद अनेकों पलते देखे (नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
"शुभचिन्तक"
Dr. Kishan tandon kranti
गजल सी रचना
गजल सी रचना
Kanchan Khanna
সিগারেট নেশা ছিল না
সিগারেট নেশা ছিল না
Sakhawat Jisan
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
शेखर सिंह
तुम ही तुम हो
तुम ही तुम हो
मानक लाल मनु
एक तूही ममतामई
एक तूही ममतामई
Basant Bhagawan Roy
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
औरों के धुन से क्या मतलब कोई किसी की नहीं सुनता है !
DrLakshman Jha Parimal
मुसलसल ठोकरो से मेरा रास्ता नहीं बदला
मुसलसल ठोकरो से मेरा रास्ता नहीं बदला
कवि दीपक बवेजा
इस दौर में सुनना ही गुनाह है सरकार।
इस दौर में सुनना ही गुनाह है सरकार।
Dr. ADITYA BHARTI
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
* जिन्दगी की राह *
* जिन्दगी की राह *
surenderpal vaidya
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
पुकारती है खनकती हुई चूड़ियाँ तुमको।
पुकारती है खनकती हुई चूड़ियाँ तुमको।
Neelam Sharma
नूतन वर्ष
नूतन वर्ष
Madhavi Srivastava
💐अज्ञात के प्रति-152💐
💐अज्ञात के प्रति-152💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरे पास फ़ुरसत ही नहीं है.... नफरत करने की..
मेरे पास फ़ुरसत ही नहीं है.... नफरत करने की..
shabina. Naaz
Tajposhi ki rasam  ho rhi hai
Tajposhi ki rasam ho rhi hai
Sakshi Tripathi
ईश्वर, कौआ और आदमी के कान
ईश्वर, कौआ और आदमी के कान
Dr MusafiR BaithA
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Behaviour of your relatives..
Behaviour of your relatives..
Suryash Gupta
Where is love?
Where is love?
Otteri Selvakumar
कविता -
कविता - "करवा चौथ का उपहार"
Anand Sharma
मैं
मैं
Ajay Mishra
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रिश्तों की कसौटी
रिश्तों की कसौटी
VINOD CHAUHAN
#हास्यप्रद_जिज्ञासा
#हास्यप्रद_जिज्ञासा
*Author प्रणय प्रभात*
एक उदासी
एक उदासी
Shweta Soni
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Mamta Singh Devaa
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
Loading...