“चाह”
“चाह”
चढ़े चोटियाँ कुछेक मनुज
दरिया में सकल समाय,
गर बनाने हों दरिया अरु चोटियाँ
मेरे प्रभु,
मुझे दरिया ही बनाय।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“चाह”
चढ़े चोटियाँ कुछेक मनुज
दरिया में सकल समाय,
गर बनाने हों दरिया अरु चोटियाँ
मेरे प्रभु,
मुझे दरिया ही बनाय।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति