की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
मुश्किल राहों पर भी, सफर को आसान बनाते हैं।
प्यारा सा गांव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हर एक सांस सिर्फ़ तेरी यादें ताज़ा करती है,
*समारोह को पंखुड़ियॉं, बिखरी क्षणभर महकाती हैं (हिंदी गजल/ ग
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
प्रिंट मीडिया का आभार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिन तो खैर निकल ही जाते है, बस एक रात है जो कटती नहीं
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
I Can Cut All The Strings Attached
पंचांग के मुताबिक हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोद
सर्द और कोहरा भी सच कहता हैं