चाहत
मेरे दिल में तुम्हे बसाने की चाहत हैं,
तुम्हे हर पल सीने से लगाने की चाहत हैं..!!
तेरी जिंदगी रोशन हो चांद की तरह,
हथेली पे तेरे नाम का दीपक जलाने की चाहत है..!!
मिटा दो फासले अब तेरे बिन रह पाना है मुश्किल,
भले ख्वाबों में ही हो मिलने की चाहत हैं..!!
नशीली आंखे तेरी जाम जैसे मदहोश करती हैं,
इन्हीं आंखो में अब तो डूब जाने की चाहत हैं..!!
तुम ही गुफ्तगू हो मेरी शायरी हो तुम,
गजल तुम को बना कर गुनगुनाने की चाहत हैं..!!
जमाना क्या कहेगा कोई परवाह नहीं इसकी,
मोहब्बत का राग सबको सुनाने की चाहत हैं..!
लगी है जो आग नफरत की जमाने में,
उसे मोहब्बत के दम से बुझाने की चाहत है..!!
~~ कृष्ण सिंह ___?️
मेरे बारे में….
मेरा नाम “कृष्ण सिंह” है । मैं सरकारी जॉब में हूँ । हरियाणा के रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव में रहता हूँ । कविता अपने लिये लिखता हूं, लेकिन औरों से बाटने में आनन्द की अनुभूति होती है । प्रथम कविता 02 फरवरी 2022 में अमर उजाला अखबार के “मेरे अल्फ़ाज़” ब्लॉग में “कुछ कहने का दिल है आज बहुत दिनों के बाद” शीर्षक से प्रकाशित हुई है। तभी से लिखने की एक नई दिशा मिली हैं । आपके अमुल्य प्रतिकिया के सदैव इन्तजार में… कृष्ण सिंह’…. आप मुझसे बात यहाँ कर सकते …. आप चाहे तो अपना नाम और e-mail id भी दे सकते है ।