चाहत अभी बाकी हैं
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चाहत अभी बाकी है ,माना बहुत फासले हैं।
दिल में अभी बेबाकी है,माना बहुत मसअले है।
कहां टूट पाते हैं ये बंधन,जो बंध जाते हैं
रूह से।
इंतहा अभी बाकी है ,माना बहुत मरहले है।
आगे बढ़ कर थामना चाहता हूं अभी भी हाथ तेरा।
चाहत अभी जवां है , दिल में वही वलवले* है।
अंदर की खामोशियों का अंदाजा तुम्हें नहीं कोई
अभी इस दिल में बाकी , हज़ारों हलचलें है।
इस आग के दरिया से , हमें डर नहीं है लगता।
डूब के ज़रूर देखेंगे, हम बहुत दिलजले है।
सुरिंदर कौर