Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2020 · 1 min read

चार लाईन

बदसूरत को हसीन बताऊँ कैसे
आसमां को ज़मीन दिखाऊँ कैसे ।
कहतें हैं मुल्क में सब खैरियत है
खुद को ये यकीन दिलाऊँ कैसे ।
-अजय प्रसाद

मुझे तू और तबाही के मन्ज़र न दिखा
खोखले इन्क़लाब के समंदर न दिखा
भला होगा खौफज़दा अब क्यों कोई
मर चुका है ज़मीर उसे खंजर न दिखा
सदमे में जम्हुरीयत है जहालत देखकर
सियासत में है कौन सितमगर न दिखा ।
-अजय प्रसाद
-अजय प्रसाद
रोज़ खुद को आजमाता हूँ
खफ़ा हो के भी मुस्कुराता हूँ ।
मौत महफ़ूज है ज़िंदगी तले
खुद को ही यकीं दिलाता हूँ ।
-अजय प्रसाद

सत्ता की शिकार अवाम हो रही
ज़्म्हुरियत अब निलाम हो रही ।
कल तलक थीं जो बातें पोशीदा
आजकल वो खुलेआम हो रही ।
-अजय प्रसाद

तेरी नज़रो में मैं बुरा ही सही
दे मुझको तू बददुआ ही सही ।
जीउँगा तेरे नफरत के साये में
इश्क़ मेरा सबसे जुदा ही सही ।
-अजय प्रसाद

ज़िंदगी आजकल बे-रहम हो रही है
इंसानियत भी अब खतम हो रही है ।
प्यार, दोस्ती, एहसान,वफ़ा, हैं खफ़ा
अहमियत इन सबकी कम हो रही है ।
-अजय प्रसाद

भयंकर तबाही की जद में है
आजकल आदमी बेहद में है ।
इजाद कर लिये हैं कई नुस्खे
खुश वो अपने खुशामद में है ।
-अजय प्रसाद

कबाड़ से कमाई की उम्मीद वो करतें हैं
यहाँ कुछ बच्चे कचरे को गौर से पढ़तें हैं
उन्हें अपने भविष्य की कोई फ़िक्र नहीं
हर रोज़ जो बेरहम वर्तमान से लड़तें हैं ।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 472 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*दिल का आदाब ले जाना*
*दिल का आदाब ले जाना*
sudhir kumar
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
शेखर सिंह
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
Phool gufran
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
"विक्रम" उतरा चाँद पर
Satish Srijan
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
मुद्दतों बाद फिर खुद से हुई है, मोहब्बत मुझे।
Manisha Manjari
तुम्हीं हो
तुम्हीं हो
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
Dushyant Kumar
फिर कभी तुमको बुलाऊं
फिर कभी तुमको बुलाऊं
Shivkumar Bilagrami
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Not longing for prince who will give you taj after your death
Not longing for prince who will give you taj after your death
Ankita Patel
मुस्कान
मुस्कान
नवीन जोशी 'नवल'
सबक
सबक
manjula chauhan
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
Paras Nath Jha
काम ये करिए नित्य,
काम ये करिए नित्य,
Shweta Soni
बाल कविता: चूहे की शादी
बाल कविता: चूहे की शादी
Rajesh Kumar Arjun
व्यावहारिक सत्य
व्यावहारिक सत्य
Shyam Sundar Subramanian
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
Manoj Mahato
हम
हम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हृदय की बेचैनी
हृदय की बेचैनी
Anamika Tiwari 'annpurna '
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
डॉ.सीमा अग्रवाल
*हैप्पी बर्थडे रिया (कुंडलिया)*
*हैप्पी बर्थडे रिया (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चेहरे के भाव
चेहरे के भाव
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"ऐ इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
आदि विद्रोही-स्पार्टकस
आदि विद्रोही-स्पार्टकस
Shekhar Chandra Mitra
पड़ोसन ने इतरा कर पूछा-
पड़ोसन ने इतरा कर पूछा- "जानते हो, मेरा बैंक कौन है...?"
*प्रणय प्रभात*
क्षणिका :  ऐश ट्रे
क्षणिका : ऐश ट्रे
sushil sarna
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
DrLakshman Jha Parimal
ज़िंदगी तेरी किताब में
ज़िंदगी तेरी किताब में
Dr fauzia Naseem shad
Loading...