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17 Apr 2024 · 1 min read

“चाँद”

“चाँद”
तुम इठलाते चाँद बहुत
सपन सलोने लाते,
रोशनी का लालच देकर
सबको पास बुलाते।
तूने कब दी है किसी को
मुट्ठी भर अनाज,
पता नहीं पर है क्या तुझमें
दिल में करते राज।

3 Likes · 3 Comments · 75 Views
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