“चश्मा”
आँखों के सहारे ही
सारी किताबें पढ़ लेता है,
रास्ते की क्या बात
वो सारा जहां देख लेता है,
वफ़ा इस कदर कि
आँखें बचा करके
सब कुछ देख जाता है,
हैसियत के मुताबिक
सारे जमाने में
शान औ’ रुतबा जमाता है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति