Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2021 · 1 min read

सावन आया

हुई वर्षा , मन हर्षा ,देख मौसम मन भावन का ।
बूँदें पड़ी , लगी झड़ी ,आया महीना सावन का ।।

उजली लड़की , बिजली कड़की , नाच उठा मन मोर जन जन का ।
नदियों में भरपूर पानी , कहे नई कहानी , झूमे पपीहा मोरे मन का ।।
आया महीना सावन का ।

सावन बरसे , विरहन तरसे , बीत रहा महीना सावन का ।
जब से गये पिया , मोरा तरसे हिया , बीत न जाये महीना सावन का ।।
आया महीना सावन का ।

ओम् ढूँढ़ो प्रियतम , हटे मन का ये तम , सुनो साज मोरे मन का ।
लौट आओ हमदम , राह तकते हैं हम , हरो सूनापन मोरे जीवन का ।।
आया महीना सावन का ।

ओमप्रकाश भारती ओम्

7 Likes · 12 Comments · 415 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ तो बात है मेरे यार में...!
कुछ तो बात है मेरे यार में...!
Srishty Bansal
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
ruby kumari
Ram Mandir
Ram Mandir
Sanjay ' शून्य'
भर गया होगा
भर गया होगा
Dr fauzia Naseem shad
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
मत कुरेदो, उँगलियाँ जल जायेंगीं
Atul "Krishn"
2510.पूर्णिका
2510.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
Rekha khichi
" बस तुम्हें ही सोचूँ "
Pushpraj Anant
#जीवन एक संघर्ष।
#जीवन एक संघर्ष।
*Author प्रणय प्रभात*
~ हमारे रक्षक~
~ हमारे रक्षक~
करन ''केसरा''
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
DrLakshman Jha Parimal
प्रेम!
प्रेम!
कविता झा ‘गीत’
हाशिए के लोग
हाशिए के लोग
Shekhar Chandra Mitra
एक अध्याय नया
एक अध्याय नया
Priya princess panwar
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
गांव
गांव
Bodhisatva kastooriya
THE B COMPANY
THE B COMPANY
Dhriti Mishra
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
शिव प्रताप लोधी
ज़िंदगी कभी बहार तो कभी ख़ार लगती है……परवेज़
ज़िंदगी कभी बहार तो कभी ख़ार लगती है……परवेज़
parvez khan
कब गुज़रा वो लड़कपन,
कब गुज़रा वो लड़कपन,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिस्से की धूप
हिस्से की धूप
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गीता में लिखा है...
गीता में लिखा है...
Omparkash Choudhary
*जिस सभा में जाति पलती, उस सभा को छोड़ दो (मुक्तक)*
*जिस सभा में जाति पलती, उस सभा को छोड़ दो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
दलाल ही दलाल (हास्य कविता)
दलाल ही दलाल (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
Shyam Sundar Subramanian
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
परिश्रम
परिश्रम
ओंकार मिश्र
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
Loading...