चलो क्षण भर भुला जग को, हरी इस घास में बैठें।
चलो क्षण भर भुला जग को, हरी इस घास में बैठें।
मिले फुरसत जमाने से, घड़ी दो पास में बैठें।
लगे रहते हमीं पीछे, किसे परवा(ह) हमारी है,
चलो बाहर चलें दो पल, खुले आकाश में बैठें।
सीमा अग्रवाल
चलो क्षण भर भुला जग को, हरी इस घास में बैठें।
मिले फुरसत जमाने से, घड़ी दो पास में बैठें।
लगे रहते हमीं पीछे, किसे परवा(ह) हमारी है,
चलो बाहर चलें दो पल, खुले आकाश में बैठें।
सीमा अग्रवाल