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20 Jan 2024 · 1 min read

चलो अब हम यादों के

चलो अब हम यादों के
कुछ हिस्से हटा देते हैं,
आँखों के अश्क की
कुछ बूँदें सूखा देते हैं।

ये तो वक्त वक्त की बात है
कोई नहीं जानता
कब, कौन, किसके साथ हैं
बेहतर है खुद को
अपना हमराह बना लेते हैं,
चलो अब यादों के
कुछ हिस्से हटा देते हैं।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
बेस्ट पोएट ऑफ दी ईयर।

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 92 Views
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