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23 Aug 2023 · 1 min read

“चन्द्र-विजय”

कभी हिमालय के शिखर पर
कभी कश्मीर की घाटी में,
आज शान से तिरंगा लहराया
चन्द्रलोक की माटी में।

चन्द्र-विजय संजो रखा था
हमने अपनी छाती में,
लिखी जाएगी ये गौरव-गाथा
स्वर्णाक्षरों से पाती में।

माँ भारती के अमर सपूतों ने
चाँद में झण्डा गाड़ दिया,
नमन् तुझे इसरो के वैज्ञानिकों
चन्द्रयान-थ्री उतार दिया।

विश्व- पटल पर बढ़ गया
तिरंगे की शान,
गूंज रहा चहुँओर आज तो
जय भारत जय विज्ञान।

तेईस अगस्त जैसा शुभ दिन
रोज भारत में आये,
विश्व गुरु की ऐसी महिमाएँ
जन-मन सारे गायें।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति

Language: Hindi
25 Likes · 20 Comments · 412 Views
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