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10 May 2024 · 1 min read

जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे

जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
घंटों बैठे-बैठे हम बतियाते थे
आज बेंच पर उसी मैं आकर बैठी हूँ..
नाम तुम्हारा जिस पर लिखकर छोड़ा था
रिश्ता तो आखिर तुमने ही तोड़ा था

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