“चंद्रमा” और “तारे”
आसमां के मंजुल आंचल में,
अंधकार-से काजल में……
ये जो मनमोहक झिलमिल तारें हैं,
आकार में दिखतें लघु पर वो चंद्रमा से भी प्यारे हैं….
सारे जहाँ के सपनों में,
परायों और अपनों में…..
यहाँ तारा बन चमकना हर एक की तमन्ना है,
हाँ परंतु दुःख-सुख की हर बातें चंद्रमा के हवाले है…..
-रेखा “मंजुलाहृदय”