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13 Sep 2022 · 1 min read

कविता: घर घर तिरंगा हो।

कविता: 75वें आज़ादी के अमृत महोत्सव पर प्रस्तुत
कविता-“घर घर तिरंगा हो।”
**********************************

हाथ मे तिरंगा हो, और साथ मे तिरंगा हो।
सरकार की मंशा है कि घर घर तिरंगा हो।।

बच्चे और बूढे सब नाचेंगे गाएंगे,
आज़ादी का उत्सव खुशी से मनाएंगे,
संजेंगी झांकी केरल से कश्मीर तक,
ना कोई हिंसा हो, ना कोई दंगा हो।।
सरकार की मंशा है कि घर घर तिरंगा हो…..

केसरिया रंग बलिदान सिखाएगा,
हरा रंग देश की खुशहाली बताएगा,
श्वेत रंग शांति का प्रतीक है,
चक्र प्रगति का चलता सबसे चंगा हो।।
सरकार की मंशा है कि घर घर तिरंगा हो…..

वेदों की शक्ति सबने जानी,
बुद्ध की शिक्षा दुनियां ने मानी,
विश्वगुरु भारत फिर से बनेगा,
ऊंचा हिमालय और हर हर गंगा हो।।
सरकार की मंशा है कि घर घर तिरंगा हो…..

अखंडता, एकता, बंधुता पहचान हमारी,
भारत का संविधान जान हमारी,
अधिकार पावें सब जन बराबर,
ना कोई भूखा हो ना कोई नंगा हो।।
सरकार की मंशा है कि घर घर तिरंगा हो…..

हाथ मे तिरंगा हो, और साथ मे तिरंगा हो।
सरकार की मंशा है कि घर घर तिरंगा हो।।

***************📚***************

स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन

7 Likes · 2 Comments · 319 Views
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