Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2018 · 1 min read

गज़ल

अनजानी राहों में अनजाने शहरों में ,
मेरे हमदम घूरती निगाहें बहुत हैं।
किस डगर हम चले ऐ मेरे हमनशीं ,
हर कदम यहाँ निशाने बहुत हैं।
चाहे रहे हम कितने भी तन्हा,
कानो से टकराती आवाजें बहुत हैं।
सोचना भी न चाहे हम तुमको कभी ,
याद आने के लिए तेरी यादें बहुत हैं।
दिल को ना छेड़ो तुम मेरे कभी,
दफ़न इसमें साजें बहुत हैं।
भूले कैसे हम जख्म ए दिल,
कुरेदने को क़ातिल ए अंदाजे बहुत हैं।
जिए भी तो कैसे ये अपनी जिंदगी,
जीने के लिए भी तो रिवाज़े बहुत हैं………

6 Likes · 2 Comments · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
2332.पूर्णिका
2332.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
■ लीक से हट कर.....
■ लीक से हट कर.....
*Author प्रणय प्रभात*
"आशा" की चौपाइयां
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
घूँघट के पार
घूँघट के पार
लक्ष्मी सिंह
सच नहीं है कुछ भी, मैने किया है
सच नहीं है कुछ भी, मैने किया है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुदरत
कुदरत
manisha
" धरती का क्रोध "
Saransh Singh 'Priyam'
सुप्रभात
सुप्रभात
Seema Verma
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
रमेशराज के देशभक्ति के बालगीत
कवि रमेशराज
Safar : Classmates to Soulmates
Safar : Classmates to Soulmates
Prathmesh Yelne
Outsmart Anxiety
Outsmart Anxiety
पूर्वार्थ
अमृत मयी गंगा जलधारा
अमृत मयी गंगा जलधारा
Ritu Asooja
ऐतिहासिक भूल
ऐतिहासिक भूल
Shekhar Chandra Mitra
--पागल खाना ?--
--पागल खाना ?--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
खुला आसमान
खुला आसमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
समय की धारा रोके ना रुकती,
समय की धारा रोके ना रुकती,
Neerja Sharma
शहर माई - बाप के
शहर माई - बाप के
Er.Navaneet R Shandily
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
अखंड भारत
अखंड भारत
विजय कुमार अग्रवाल
ड्यूटी और संतुष्टि
ड्यूटी और संतुष्टि
Dr. Pradeep Kumar Sharma
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
फिजा में तैर रही है तुम्हारी ही खुशबू।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"चांद पे तिरंगा"
राकेश चौरसिया
पवनसुत
पवनसुत
सिद्धार्थ गोरखपुरी
💐Prodigy Love-38💐
💐Prodigy Love-38💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
Ranjeet kumar patre
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
Paras Nath Jha
देशभक्ति का राग सुनो
देशभक्ति का राग सुनो
Sandeep Pande
गालगागा गालगागा गालगागा
गालगागा गालगागा गालगागा
Neelam Sharma
दीवारों की चुप्पी में
दीवारों की चुप्पी में
Sangeeta Beniwal
Loading...