Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2023 · 1 min read

ऐतिहासिक भूल

आपस में लड़ते रहते हैं
मारते या मरते रहते हैं!
हवाओं को मज़लूमों की
चीखों से भरते रहते हैं!!
कोई सबक नहीं सीखा
इतिहास से हमने शायद!
तभी तो बार-बार हम
भूल वही करते रहते हैं!!
#हिंसा #दंगा #फसाद #अन्याय
#लूट #मार #राजनीति #बदला
#सियासत #जाति #सांप्रदायिक
#Hate #lynching #Caste

Language: Hindi
1 Like · 158 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे प्रिय कलाम
मेरे प्रिय कलाम
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मौसम नहीं बदलते हैं मन बदलना पड़ता है
मौसम नहीं बदलते हैं मन बदलना पड़ता है
कवि दीपक बवेजा
/// जीवन ///
/// जीवन ///
जगदीश लववंशी
*छाया कैसा  नशा है कैसा ये जादू*
*छाया कैसा नशा है कैसा ये जादू*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक समय के बाद
एक समय के बाद
हिमांशु Kulshrestha
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
निकला वीर पहाड़ चीर💐
निकला वीर पहाड़ चीर💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक होशियार पति!
एक होशियार पति!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
औलाद
औलाद
Surinder blackpen
अपने योग्यता पर घमंड होना कुछ हद तक अच्छा है,
अपने योग्यता पर घमंड होना कुछ हद तक अच्छा है,
Aditya Prakash
ओ! महानगर
ओ! महानगर
Punam Pande
चूड़ियां
चूड़ियां
Madhavi Srivastava
कारण मेरा भोलापन
कारण मेरा भोलापन
Satish Srijan
*सुख या खुशी*
*सुख या खुशी*
Shashi kala vyas
मुझे आशीष दो, माँ
मुझे आशीष दो, माँ
Ghanshyam Poddar
वो पहली पहली मेरी रात थी
वो पहली पहली मेरी रात थी
Ram Krishan Rastogi
💐अज्ञात के प्रति-76💐
💐अज्ञात के प्रति-76💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जैसे को तैसा
जैसे को तैसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*बदन में आ रही फुर्ती है, अब साँसें महकती हैं (मुक्तक)*
*बदन में आ रही फुर्ती है, अब साँसें महकती हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
#सन्देश...
#सन्देश...
*Author प्रणय प्रभात*
शोषण
शोषण
साहिल
"चाह"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
दिल का रोग
दिल का रोग
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मातृ दिवस
मातृ दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
असंवेदनशीलता
असंवेदनशीलता
Shyam Sundar Subramanian
हिज़्र
हिज़्र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
Sanjay ' शून्य'
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
प्रेमदास वसु सुरेखा
कितने बड़े हैवान हो तुम
कितने बड़े हैवान हो तुम
मानक लाल मनु
Loading...