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4 Sep 2023 · 1 min read

” धरती का क्रोध “

” धरती का क्रोध ”

ज्ञान कहाँ था इंसानो में, धरती जब उनको बचाई है ।
अभिमान बढ़ा जब इंसानो का, धरती तब क्रोध दिखाई है।।

क्यूँ जन्म लिया? क्यूँ बड़ा हुआ? जब सर्वनाश ही करना था,
पला बढ़ा गोद में जिसकी, अपमान उसी का करना था?
कर मत भूल समझ ले अब, इसमे ही तेरी भलाई है।
क्योंकि अभिमान बढ़ा जब इंसानो का, धरती तब क्रोध दिखाई है।।

तुच्छ प्राणी से जटिल बना, अब ईश्वर बनने की आशा है।
प्रयोग इसका विफल हुआ यही तो तेरी निराशा है।।
मन में छल कपट को भरकर, जो विष की बीज लगाई है।
यही विष अब बना विषाणु, तभी तो विपत्ति आई है ।।

कर मत भूल समझ ले अब, इसमे ही तेरी भलाई है।
क्योंकि अभिमान बढ़ा जब इंसानो का, धरती तब क्रोध दिखाई है।।

✍ सारांश सिंह ‘प्रियम’

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