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28 Nov 2017 · 1 min read

हम तेरे लबो रुख्सर में

हम तेरे लबो रुख्सर में खोना चहते हैं
हर लम्हा तेरे अगोश में सोंना चहते हैं

तू मुझसे बिछड़ने चहती है तो हो जा
सीने से बस तेरे लग के रोना चहते हैं

हुकूमतो ने फासले कर दिए है बहुत
नन्हे ख़्वाब मुल्क को जोड़ना चहते है

बूढ़ी माँ के दुआओ में है अजब सा नूर
फ़रिश्ते भी मुसीबत से बचाना चहते है

ज़ख्म पे नमक लगाने को हर पल तैयार
ऐसी सियासतों को हम मिटाना चहते है

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