गौ माता…!!
यह प्रकृति का अनुपम का उपहार,
मातृभूमि का निरूपम अवतार!
वह जन्मभूमि जननी दात्री,
जो ममता से करती श्रृंगार!!
हर क्षण आग -सी जलती है,
खुले अंबर के तले वह पलती है!
उसके मन की निर्मल धारा,
हर पल कल -कल कर बहती है!!
तपती दुपहरी हो या सुबह हो
या शाम की ठंडी छाँह, या चाहे कोई अभाव
हर कीमत पर करती है वह अपना निर्वाह!
कभी आंखों से आंसू आ जाए,
कभी प्यास के मारे गला सूख जाए!!
दुनिया को क्या फर्क पड़े,
जब मर्जी पड़े जलपान कराये!
वह धर्मात्मा भी नारी स्वरुप है
वह धर्म सदाचार की प्यारी है,
उस पवित्रता की गंगा को
मेरा शत-शत नमन है!!🙏
❤️ Love Ravi ❤️