छह दिसबंर / मुसाफ़िर बैठा
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
अपनी सरहदें जानते है आसमां और जमीन...!
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
*चंदा मॉंगो शान से, झाड़ो बढ़िया ज्ञान (कुंडलिया)*
हमेशा भरा रहे खुशियों से मन
चिड़िया बैठी सोच में, तिनका-तिनका जोड़।
मैं अपने अधरों को मौन करूं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जिन्दगी की यात्रा में हम सब का,
#संबंधों_की_उधड़ी_परतें, #उरतल_से_धिक्कार_रहीं !!
अज्ञानी की कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी