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17 Dec 2023 · 1 min read

मन के भाव

मन के भाव ललित हो जाएं
एक छंद बनती है कविता ।
किसी भाव के शूल गड़े तो
नवल बंध गढ़ती है कविता ।।

भावो का अतिरेक उमड़ता
पन्नो पर चित जाती कविता ।
बुद्धि भाव का मेल मिले तो
नव भाषा लिख जाती कविता ।।

मिट्टी से जब खुशबू उठती
सरस् फूट आती है कविता ।
सागर से लहरे जब खेले
हँसती खिलती गाती कविता ।।

खेतो में जब जलना होता
पिघल स्वेद बनती है कविता ।
पत्थर जब हाथो से टूटे ।
सुलग भूख बनती है कविता ।।

जब मन की चटखन सुनती
दबे पांव आती है कविता ।
जब जब होती भटकन में
ठहर ठहर छूती है कविता ।।

सन्नाटों से बातें होती
एकाकी रिसती है कविता ।
जब पांवो में छाले फूटे
पीड़ा से रोती है कविता ।।

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