गौरतलब
हर दर्पण
हर शब्द
कुछ बोलता है,
हर सुख
हर दुःख
कुछ ऊष्मा छोड़ता है।
तभी तो लोग
अहसासों में जीते हैं,
सपने देखकर
वक्त के साथ संजोते हैं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हर दर्पण
हर शब्द
कुछ बोलता है,
हर सुख
हर दुःख
कुछ ऊष्मा छोड़ता है।
तभी तो लोग
अहसासों में जीते हैं,
सपने देखकर
वक्त के साथ संजोते हैं।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति