गुरु महिमा
वेदों की रचना करी जिसने,वही वेद व्यास कहलाते है।
व्यासजी के जन्म के उपलक्ष में,सब मिलकर गुरु पूर्णिमा मनाते हैं।।
हर व्यक्ति के जीवन निर्माण में,किसी गुरु की बहुत अहम भूमिका है।
गुरुवंदन और गुरुसम्मान का यही तो,जगत में सबसे सरल तरीका है।।
गुरु ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर, शिष्य का जीवन गुरु मन्त्रों से संवारा है।
शिष्यों द्वारा आभार प्रकट करने का,गुरु को यह अवसर कितना प्यारा है।।
कहे विजय बिजनौरी गुरु स्थान जगत में ईश्वर से ऊपर माना जाता है।
देख गुरु को अपने सामने हर शिष्य का सर सम्मान से खुद ब खुद झुक जाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।