गुरु महिमा, परमपूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी को समर्पित
हे गुरु मेरे तुम्हीं बता दो,गाथा कैसे गाऊं
बस में मेरे बस इतना हैं,माथा चरण नवाऊँ।
हे गुरु मेरे तुम्हीं बता दो,गाथा कैसे गाऊं।
शरण आपकी आकर ,इस जग को पहचाना
जीवन का उद्देश्य क्या हैं,इसको भी है जाना।
किया समर्पण जिसने भी,उसका मान बढ़ाया
जिसने जितना समय दिया,उतना ही यश पाया।
पग पग पर मार्ग सुझाते,सझम तुमको पाऊं।
हे प्रभु मेरे तुम्हीं बता दो, गाथा कैसे गाऊं।
सृजन आपका मंगलकारी,कोटि मनुज गाते हैं
शब्द शब्द में दर्शन गुरु के,जन जन पा जाते हैं।
ज्योति जलाई जो निज कर से, हमें चेतना देती
भवसागर में आस तुम्हारी, सबकी नैया खेती।
पास नहीं कुछ अंतर्मन के,भाव सुमन चढ़ाऊं।
हे गुरु मेरे तुम्हीं बता दो, गाथा कैसे गाऊं।
मिला ज्ञान ऐसा जिसने,जीवन बदल दिया है
निशि दिन तव चरणों में, लागा हुआ जिया है।
यज्ञ, हवन, अंशदान की,महिमा बड़ी निराली
एक अंश देकर हमने, जग की दौलत पा ली।
सदवाक्यों को पढ़,अपने पथ पर बढ़ता जाऊं।
हे गुरु मेरे तुम्हीं बता दो,गाथा कैसे गाऊं।
रामनारायण कौरव