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26 May 2024 · 1 min read

“गुनाह कुबूल गए”

“गुनाह कुबूल गए”
जब वो अपने गुनाह कुबूल गए,
हम अपने तमाम दायरे भूल गए।
आँसुओं की कीमत रहा ना कुछ,
लोग तमाम अपने वादे भूल गए।

1 Like · 1 Comment · 40 Views
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