Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2023 · 1 min read

चाय कलियुग का वह अमृत है जिसके साथ बड़ी बड़ी चर्चाएं होकर बड

चाय कलियुग का वह अमृत है जिसके साथ बड़ी बड़ी चर्चाएं होकर बड़े बड़े फैसले ले लिए जाते हैं,बड़ी बड़ी समस्याएं हल हो जाती हैं।आम व खास के साथ चाय भेद भाव नहीं करती और दोनों को ताजगी प्रदान करती है परंतु आजकल अदरक के मिजाज के कारण चाय अपनी समस्या नहीं हल कर पा रही। बेस्वाद होकर अवसाद में जा रही है।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

1 Like · 293 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इस तरह बदल गया मेरा विचार
इस तरह बदल गया मेरा विचार
gurudeenverma198
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
sushil sarna
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Tarun Singh Pawar
घूंटती नारी काल पर भारी ?
घूंटती नारी काल पर भारी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भविष्य..
भविष्य..
Dr. Mulla Adam Ali
मृत्यु संबंध की
मृत्यु संबंध की
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
Harminder Kaur
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
प्यार,इश्क ही इँसा की रौनक है
'अशांत' शेखर
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
Neelam Sharma
मुफ़लिसी एक बद्दुआ
मुफ़लिसी एक बद्दुआ
Dr fauzia Naseem shad
बिहार के मूर्द्धन्य द्विज लेखकों के विभाजित साहित्य सरोकार
बिहार के मूर्द्धन्य द्विज लेखकों के विभाजित साहित्य सरोकार
Dr MusafiR BaithA
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
Maroof aalam
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रामभक्त शिव (108 दोहा छन्द)
रामभक्त शिव (108 दोहा छन्द)
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
इस संसार में क्या शुभ है और क्या अशुभ है
इस संसार में क्या शुभ है और क्या अशुभ है
शेखर सिंह
"हाथों की लकीरें"
Dr. Kishan tandon kranti
"ज्यादा मिठास शक के घेरे में आती है
Priya princess panwar
सोनेवानी के घनघोर जंगल
सोनेवानी के घनघोर जंगल
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
भार्या
भार्या
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आत्मबल
आत्मबल
Punam Pande
2832. *पूर्णिका*
2832. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
घाव करे गंभीर
घाव करे गंभीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आँखें शिकायत करती हैं गमों मे इस्तेमाल हमारा ही क्यों करते ह
आँखें शिकायत करती हैं गमों मे इस्तेमाल हमारा ही क्यों करते ह
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
पिता
पिता
Swami Ganganiya
वो छोड़ गया था जो
वो छोड़ गया था जो
Shweta Soni
शर्म
शर्म
परमार प्रकाश
इंसान कहीं का भी नहीं रहता, गर दिल बंजर हो जाए।
इंसान कहीं का भी नहीं रहता, गर दिल बंजर हो जाए।
Monika Verma
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।
शिव प्रताप लोधी
Loading...