गुज़ारिश है तुमसे
गुज़ारिश है तुमसे…..
फूलों, ये कोपलें जैसे खिलते
खिलकर तुम ऐसे आना।
वीराना ये दिल पड़ा है,
बिन आहट वसंत होके तुम आना।
सुबह की ओस बनके
ठहर जाये स्मृति में,
गुज़ारिश है तुमसे…..
वो हसीं जज़्बात से भरके आना
सारी कड़वाहट छोड़ आना
मीठे झरने सा बहता कल कल ,
छल छल ,छलकती आँखो में
भरकर अपना प्यार लाना।
गुज़ारिश है तुमसे…..
पिघलते मोम जैसी नरमी
मेरे अहसासों में पिघलाना।
प्यासी नदियाँ दूर से बहते
बहते खो जाती सागर में
तुम ऐसे ही मेरे बाँहो में आना।
पूनम समर्थ (आगाज ए दिल)