Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2023 · 1 min read

*रामचरितमानस में अयोध्या कांड के तीन संस्कृत श्लोकों की दोहा

रामचरितमानस में अयोध्या कांड के तीन संस्कृत श्लोकों की दोहा छंद में भावाभिव्यक्ति
———————————————————–
यस्याङ्के च विभाति भूधरसुता देवापगा मस्तके
भाले बालविधुर्गले च गरलं यस्योरसि व्यालराट्।
सोऽयं भूतिविभूषणः सुरवरः सर्वाधिपः सर्वदा
शर्वः सर्वगतः शिवः शशिनिभः श्रीशङ्करः पातु माम्।।1।।

प्रसन्नतां या न गताभिषेकतस्तथा न मम्ले वनवासदुःखतः।
मुखाम्बुजश्री रघुनन्दनस्य मे सदास्तु सा मञ्जुलमंगलप्रदा।।2।।

नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महासायकचारुचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।3।।
———————————————-
1
शुभ्र वर्ण विष कंठ में, भाल चंद्रमा बाल।
नमस्कार श्री पति-उमा, गले सर्प की माल।।
2
रक्षा करिए देव शिव, सर्वेश्वर भगवान।
मस्तक से हैं कर रहीं, गंगा जी प्रस्थान।।
3
भस्म लपेटे देव शिव, करते जग-संहार।
आप सर्व व्यापक प्रभो, जग के शुभ आधार।।
4
मिला राजपद राम को, या पाया वनवास।
दुख-प्रसन्नता से परे, मंजुल-मुख आभास।।
5
नीलकमल से अंग हैं, धनुष-बाण ले हाथ।
नमस्कार श्री राम जी, सीता जी के साथ।।
———————————————–
दोहा रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

491 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
भागमभाग( हिंदी गजल)
भागमभाग( हिंदी गजल)
Ravi Prakash
सुबह सुहानी आपकी, बने शाम रंगीन।
सुबह सुहानी आपकी, बने शाम रंगीन।
आर.एस. 'प्रीतम'
#आलेख
#आलेख
*Author प्रणय प्रभात*
जीवन का किसी रूप में
जीवन का किसी रूप में
Dr fauzia Naseem shad
पर्यावरण में मचती ये हलचल
पर्यावरण में मचती ये हलचल
Buddha Prakash
आतंकवाद को जड़ से मिटा दो
आतंकवाद को जड़ से मिटा दो
gurudeenverma198
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची
बमुश्किल से मुश्किल तक पहुँची
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ना जाने क्यों तुम,
ना जाने क्यों तुम,
Dr. Man Mohan Krishna
चेतावनी हिमालय की
चेतावनी हिमालय की
Dr.Pratibha Prakash
मंटू और चिड़ियाँ
मंटू और चिड़ियाँ
SHAMA PARVEEN
बुझी राख
बुझी राख
Vindhya Prakash Mishra
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
बहुत जरूरी है एक शीतल छाया
Pratibha Pandey
इस धरती पर
इस धरती पर
surenderpal vaidya
मी ठू ( मैं हूँ ना )
मी ठू ( मैं हूँ ना )
Mahender Singh
कविता
कविता
Rambali Mishra
Love
Love
Kanchan Khanna
फागुन कि फुहार रफ्ता रफ्ता
फागुन कि फुहार रफ्ता रफ्ता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2761. *पूर्णिका*
2761. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गुरु महादेव रमेश गुरु है,
गुरु महादेव रमेश गुरु है,
Satish Srijan
वोटर की पॉलिटिक्स
वोटर की पॉलिटिक्स
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"प्रपोज डे"
Dr. Kishan tandon kranti
अगर कोई आपको गलत समझ कर
अगर कोई आपको गलत समझ कर
ruby kumari
असंवेदनशीलता
असंवेदनशीलता
Shyam Sundar Subramanian
सच समाज में प्रवासी है
सच समाज में प्रवासी है
Dr MusafiR BaithA
💐प्रेम कौतुक-416💐
💐प्रेम कौतुक-416💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
दोहे-
दोहे-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
VINOD CHAUHAN
Loading...