गीत- ग़रीबी में सभी वादे…
ग़रीबी में सभी वादे हमेशा टूट जाते हैं।
बड़े अच्छे निभे रिश्ते क़सम से छूट जाते हैं।।
क़यामत है ग़रीबी ये शिकायत तुम करो चाहे।
मुनासिब तब नहीं तालिम कि ग़र्दिश में रहें साये।
हवाएँ जो भरी ज़्यादा गुब्बारे फूट जाते हैं।
बड़े अच्छे निभे रिश्ते क़सम से छूट जाते हैं।।
बुरा मानव नहीं होता जहाँ हो वक़्त की चलती।
जहाँ सूरज ढ़लेगा शाम की चिल्मन वहाँ मिलती।
बुरी क़िस्मत मिले अपने वहाँ सब रूठ जाते हैं।
बड़े अच्छे निभे रिश्ते क़सम से छूट जाते हैं।।
सितारों से मुहब्बत कर जहाँ पर चाँद खिलता है।
अदावत में जला दीपक सदा ही मात खाता है।
बग़ावत में नफ़ासत फूल ‘प्रीतम’ ज़ख्म पाते हैं।
बड़े अच्छे निभे रिश्ते क़सम से छूट जाते हैं।।
आर. एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित गीत