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8 Feb 2024 · 1 min read

फूल से कोमल मन

फूल से कोमल मन
काँच से नाजुक मन
मन से कोमल एहसास
एहसास से नाजुक आश
एहसास से ही मन खिल उठे
एहसास हुआ दिल बिखर गये
एहसासों से ही आश जगे
एहसासों से कोई खास लगे
जब आश निराश में बदल गई
फिर सारी दुनियां झूठी लगे…..

(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan”

Language: Hindi
95 Views
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