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6 Oct 2016 · 1 min read

गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका —-नौ दुर्गा –प्रार्थना
बहर: २१२२ २१२२ २१२२ २१२
रदीफ़ : चाहिए ; काफिया : “आ”

नौ दिनों की माँग भक्तों की माँ सुनना चाहिए
वे बुलाते तो माँ उनके घर में आना चाहिए |

शांति की देवी तू, संकट मोचनी दुख नाशिनी
भक्त को सुख शान्ति का वर दान देना चाहिए |

खड्ग हस्ता, ढाल मुद्गर, शूल अस्त्रों धारिणी
विध्न वाधा नाश माँ इस वक्त होना चाहिए |

अम्बे गौरी श्यामा गौरी, तुम विराजत सब जगत
शत्रु घाती दुख विनाशी, तेरी करुणा चाहिए |

धूप कुमकुम पुष्प चन्दन से किया माँ आरती
भूल चुक जो भी मेरा सब माफ़ होना चाहिए|

© कालीपद ‘प्रसाद’

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